BJP स्थापना दिवस विशेष: 1980 से 2025 तक का सफर
जब जनसंघ से निकलकर भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ। ‘अंत्योदय’ और ‘सर्वजन हिताय’ के मंत्र के साथ इस पार्टी ने एक नई राजनीतिक धारा को जन्म दिया।”2025 में, यह पार्टी 45 वर्ष का गौरवमयी सफर पूरा कर चुकी है। इस यात्रा में पार्टी ने संघर्ष, संगठन और सफलता के अनेक चरण देखे हैं।

आज 6 अप्रैल है, यानी भारतीय जनता पार्टी का स्थापना दिवस! एक ऐसा राजनीतिक सफर जो 1980 में शुरू हुआ और 2025 तक भारत की राजनीति का केंद्र बिंदु बन गया। संघर्ष, विजय और परिवर्तन की इस कहानी को आज हम आपके सामने लेकर आए हैं… आइए, जानते हैं BJP के सफर की पूरी कहानी!”
1980 में BJP का जन्म
“6 अप्रैल 1980—जब जनसंघ से निकलकर भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ। ‘अंत्योदय’ और ‘सर्वजन हिताय’ के मंत्र के साथ इस पार्टी ने एक नई राजनीतिक धारा को जन्म दिया।”
6 अप्रैल भारतीय राजनीति का एक ऐतिहासिक दिन है। इसी दिन, वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना हुई थी। आज, 2025 में, यह पार्टी 45 वर्ष का गौरवमयी सफर पूरा कर चुकी है। इस यात्रा में पार्टी ने संघर्ष, संगठन और सफलता के अनेक चरण देखे हैं। आइए जानते हैं, 1980 से 2025 तक BJP की इस ऐतिहासिक यात्रा की प्रमुख झलकियाँ।
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स्थापना: 1980
जनसंघ के पूर्व सदस्यों द्वारा 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी की स्थापना की गई। यह कदम तब उठाया गया जब जनता पार्टी सरकार में आंतरिक मतभेद और सिद्धांतों का टकराव सामने आया। अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी के पहले अध्यक्ष बने और उन्होंने “गांधीवादी समाजवाद” के सिद्धांत को आगे बढ़ाया।
प्रारंभिक संघर्ष (1980–1990)
BJP को प्रारंभिक वर्षों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1984 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को केवल 2 सीटें ही मिल पाईं, लेकिन यह समय संगठन निर्माण और जनसम्पर्क के विस्तार का था। पार्टी ने राम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान जनसमर्थन प्राप्त किया और 1989 में 85 सीटों के साथ संसद में मजबूत उपस्थिति दर्ज की।
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नई ऊँचाइयाँ (1990–2000)
1996 में BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन सरकार ज्यादा समय तक नहीं चल सकी। इसके बाद 1998 और 1999 में पार्टी ने सफलतापूर्वक केंद्र में NDA सरकार का गठन किया, और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। यह कालखंड देश में आर्थिक सुधारों और परमाणु परीक्षणों के लिए याद किया जाता है।
संघर्ष और पुनरुत्थान (2004–2013)
2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में BJP को हार का सामना करना पड़ा। यह समय आत्मचिंतन और संगठनात्मक मजबूती का था। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2013 में पार्टी ने नई रणनीति अपनाई और जनता के बीच अपनी मजबूत छवि बनाई।
सत्ता में वापसी और स्थायित्व (2014–2025)
2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में BJP ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की और पूर्ण बहुमत से सरकार बनाई। 2019 में यह जीत और भी बड़ी हुई। इस काल में धारा 370 हटाना, नागरिकता संशोधन कानून (CAA), राम मंदिर निर्माण की शुरुआत और डिजिटल इंडिया जैसे अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए गए।
2024 के आम चुनाव में भी BJP ने NDA के साथ मिलकर सत्ता में वापसी की और 2025 तक पार्टी देश की सबसे प्रभावशाली राजनीतिक शक्ति बनी रही है।
6 अप्रैल का दिन केवल BJP का स्थापना दिवस नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की एक सशक्त यात्रा का प्रतीक बन चुका है। 1980 से 2025 तक BJP ने संघर्ष से लेकर सत्ता तक, संगठन से लेकर नीति निर्धारण तक, एक लंबा सफर तय किया है। आज यह पार्टी न केवल भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक ताकत है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी इसका प्रभाव बढ़ा है।
“सेवा, संगठन और राष्ट्र निर्माण” के मूल मंत्र के साथ BJP का यह सफर आने वाले वर्षों में और भी ऐतिहासिक बनने की संभावना रखता है।
1980 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की स्थापना एक चुनौतीपूर्ण समय में हुई थी। उस दौर में पार्टी को कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ा — राजनीतिक, वैचारिक और जनसमर्थन के स्तर पर। आइए उस शुरुआती संघर्ष को थोड़ा विस्तार से समझते हैं:
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1. राजनीतिक अस्थिरता और नई पहचान का संघर्ष:
BJP की स्थापना 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनसंघ के पूर्व सदस्यों द्वारा की गई थी। इससे पहले ये नेता जनता पार्टी में शामिल थे, लेकिन ‘द्वि-सदस्यता’ के विवाद के चलते उन्हें पार्टी छोड़नी पड़ी। ऐसे समय में नई पार्टी बनाना और उसे जनता के बीच पहचान दिलाना बहुत मुश्किल काम था। कांग्रेस की ताकत के मुकाबले BJP उस समय एक छोटी और नई पार्टी थी।
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2. वैचारिक संघर्ष:
BJP की विचारधारा राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित थी, लेकिन उस समय देश में समाजवाद और कांग्रेस की नीतियाँ हावी थीं। पार्टी को खुद को “गांधीवादी समाजवाद” के सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत करना पड़ा ताकि आम जनता से जुड़ सके। यह विचारधारा उस समय के मुख्यधारा राजनीतिक विचारों से भिन्न थी, और इसलिए जनता को समझाने में समय लगा।
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3. संगठन निर्माण का संघर्ष:
नई पार्टी होने के नाते BJP के पास संसाधनों, कार्यकर्ताओं और संगठित ढांचे की कमी थी। पार्टी को जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करने पड़े, बूथ स्तर तक संगठन खड़ा करना पड़ा। उस दौर में अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और नाना जी देशमुख जैसे नेताओं ने पूरे देश में भ्रमण कर पार्टी को खड़ा किया।
4. चुनावी असफलताएँ:
1984 के लोकसभा चुनाव में BJP को सिर्फ 2 सीटें मिलीं — यह पार्टी के लिए बहुत बड़ा झटका था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद आए सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने ज़बरदस्त जीत दर्ज की, और BJP लगभग राजनीति के हाशिये पर चली गई।
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5. मीडिया और प्रचार की चुनौती:
उस समय BJP को मीडिया में उतना स्थान नहीं मिलता था। बड़े मीडिया हाउस कांग्रेस के प्रभाव में थे, और BJP को अपने विचार आम लोगों तक पहुँचाने के लिए जनसंपर्क यात्राओं, रैलियों और छोटे-छोटे मंचों का सहारा लेना पड़ा।
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1980 में BJP का संघर्ष एक नवगठित पार्टी के तौर पर अपनी पहचान, संगठन और समर्थन को बनाने का था। यह एक लंबा और कठिन रास्ता था, लेकिन मजबूत नेतृत्व, राष्ट्रवादी विचारधारा और जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत ने इसे भविष्य की सबसे बड़ी पार्टी बनने की नींव दी।
जब भारतीय जनता पार्टी का जन्म हुआ, तो सामने चुनौतियाँ ही चुनौतियाँ थीं।
एक ओर सत्ता से दूरी, दूसरी ओर पहचान का संकट।
कांग्रेस अपने चरम पर थी, और मीडिया में भाजपा का नाम तक नहीं था।
लेकिन फिर भी, कुछ अटल विश्वास, कुछ अडिग संकल्प, और राष्ट्र के लिए समर्पण लेकर खड़े हुए संस्थापक नेता।
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था —
“अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा!”
यही विश्वास लेकर पार्टी ने शुरुआत की।
जनता पार्टी के टूटने के बाद जन्मी भाजपा को,
1984 में सिर्फ 2 सीटें मिलीं —
लेकिन हार को उन्होंने हार नहीं मानी,
बल्कि उसे आत्ममंथन और आत्मबल का साधन बनाया।
देशभर में संगठन खड़ा किया,
बूथ से लेकर पंचायत तक कार्यकर्ता तैयार किए।
जनता के दिलों तक पहुँचे,
और कहा — हम राजनीति नहीं, राष्ट्रनीति लाए हैं।
साथियों, आज जब भाजपा दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है,
तो हमें उन शुरुआती संघर्षों को याद रखना चाहिए।
क्योंकि वही संघर्ष हमारे चरित्र की नींव हैं।
वो 1980 का संघर्ष, आज 2025 की सफलता बन चुका है।
जय भारत!
जय भाजपा!
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कविता: “संगठन की जड़ों से सत्ता तक”
1980 का साल था नया,
सपनों से भरा एक कारवाँ चला।
जनता पार्टी से निकले विचार,
कमल का फूल बना एक नया अवतार।
पहचान की राह थी कठिन,
राजनीति में हर मोड़ था अनजाना।
पर थे अटल जैसे पथप्रदर्शक,
जिनके स्वर में था राष्ट्रगान।
सिर्फ दो सीटें मिली थीं एक बार,
पर मन में था विश्वास अपार।
संघर्ष बना शक्ति का रूप,
हर हार बनी विजय का स्वरूप।
गाँव-गाँव, गली-गली,
कदम-कदम पर संगठन खड़ा किया।
राष्ट्रवाद, सेवा और शांति से,
जनता का दिल धीरे-धीरे जीत लिया।
आज जो चमक रही है बात,
वो तपस्या है वर्षों की रात।
नमन है उस संघर्ष को,
जिसने भाजपा को बनाया महान।
कमल तब भी खिला था,
कमल आज भी खिला है।
वो संघर्ष था सच्चा,
जो आज विजय में मिला है।